हमारे बारे में (About Us)

हमारे बारे में – About Us

 

भजन.प्रो( Bhajan.pro ) का लोकार्पण अधिक श्रावण मास के कृष्णपक्ष की दशमी और गुरुवार के दिनाक १० अगस्त २०२३ को किया गया है भजन.प्रो( Bhajan.pro ) लोकसाहित्य और शिष्टः साहित्य को सुप्रसिद्धं और सुप्रचलित भक्ति ज्ञान को आध्यात्मिक पद और कविता को साजा करने का एक माध्यम है।

 

भजन.प्रो( Bhajan.pro ) में वैष्णव, कबीर साहब साधना, नाथपंथी, योग साधना, जैन, रामानंदी, इस्लामी सूफी साधना, निराकार भक्ति साधना, द्वैत-अद्वेत, शुद्धाद्वैत, केवलाद्वैत जेसी वैदिक विचारधाराको लिरिक्स के रूप में देखा जा सकता है।

 

भजन.प्रो( Bhajan.pro ) का मुख्य यह प्रयास है की यह सभी भजन जन जन तक पहुच कर अध्यात्मिक संस्कारो का सिंचन करे और भजन को भारतीय संस्कृति में अनादी काल के लिए संजोये रख कर विश्वपटल पर प्रसार करने का एक सुंदर प्रयास है

 

भजन क्या है ।

 

भजन शब्द संस्कृत् भज् धातु पर से आया है भजन शब्द क अर्थ यह होता है की परमतत्त्व या फिर इस्टदेव का आश्रय लेना और उसकी सेवा में उपासना या फिर गुणगान करना।

 

भजन में भागवान के स्मरण, स्तवन, कीर्तन, प्रार्थना, आरती और अनेक भाव अर्थ समाहित होते है। भारत का भजन प्रकार मध्यकालीन से ही जुड़ा हुवा है। जिसमें धर्मं, आध्यात्म-चिंतन, ज्ञान, भक्ति, योग, वैराग्य आदि गुणों की विशेषताए दिखाई देती है जिसमे उर्मीकाव्य और पधरचनाऐ समन्वयित है सामान्य तौरपे इसके रचयिता अद्यात्मा मार्ग से जुड़े हुवे संत, महात्मा, भक्त, योगी, वैरागी,ज्ञानी वेदान्ती, साधक सिद्ध और पीर फ़क़ीर जेसे लोग द्वारा देखने को मिलता है।

 

भजन में सगुण साकार और निर्गुण निराकार इन दो प्रकार की भक्तिधारा का समन्वय होता है और कई भजनो में दोनों का अलग अलग रूप से दर्शाया गया है। सगुण साकार की भक्ति में गणपति, राम, विष्णु, शिव, कृष्ण, शक्ति जैसे इश्वरी शक्ति को अलग अलग रूपों में उसकी आराधना की जाती है।

 

भजन में भक्ति, भक्त और भागवानकी महिमा, भक्तिबोध और भक्ति चिंतन, सत्संग, जिव और शिव, भगवद श्रद्धा और भगवद प्रीति भावो को व्यक्त और अनुभव किया जाता है। भजन के अनेक प्रकार देखे जा सकते है।

 

साखी, संध्या, गुरुमहिमा, गणपति, आरती, प्रार्थना, आगम, चेतावनी, संदेश, पत्र, अरज( अर्जी ), संवाद, हेलारो, प्रस्नोतरी, प्रभाती, प्रभातिया, हुंडी, हालरडू, छप्पा, लावणी, काफी, गरबा, कीर्तन, पद, चोघदिया, विवाह के अनुलक्ष भजन, रूपात्मक भजन जिनमे वस्तुओ के कई प्रकार है।

 

भजन.प्रो( Bhajan.pro ) वेबपोर्टल पर कई अनपढ़ परन्तु आत्मज्ञानी साधूसंत, कवी, बाबा फ़क़ीर के सर्जनात्मक रूप रंग दिखाई देते है त्यौहार, दूज, पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी जेसे दिनों में कई स्थानों में मेलो में पूजा पाठमें मृतजनोकी अंतिम क्रिया में भी भजनों का जुडाव अनादी काल से रहा है।

 

संपर्क

आपके विचार और प्रश्न हमारे लिए महत्व रखते हैं।

 

sampark@bhajan.pro ईमेल पर हमसे संपर्क करने में संकोच न करें, आप हमसे हमारे संपर्क(Contact) पेज पर भी संपर्क कर सकते है और सार्थक बातचीत में भाग लें।

 

भजन.प्रो( Bhajan.pro ) के साथ अपनी आध्यात्मिकता को बढ़ाएं.

 

धन्यवाद

  1. adopt

    November 27, 2023 at 10:41 pm

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